नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है -डॉक्टर श्रद्धा मिश्रा

अंबिकापुर - आज  29 सितम्बर 25 दिन सोमवार को सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय सुभाषनगर एवं सरस्वती शिशु मंदिर उ. मा. विद्यालय सुभाषनगर के संयुक्त तत्वाधान मे राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के अंतर्गत " नवरात्रि पर्व के उपलक्ष मे कन्याभोज " का आयोजन सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रद्धा मिश्रा के मार्गदर्शन एवं कार्यक्रम अधिकारी (रा. से. यों.) श्रीमती रानी रजक एवं सहायक कार्यक्रम अधिकारी (रा. से. यों.)सीमा बंजारे के नेतृत्व मे करायी गयी।
आज नवरात्रि पर्व के सप्तमी के दिन सरस्वती शिशु मंदिर उ. मा. विद्यालय सुभाषनगर एवं सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय में एक साथ नवरात्रि पर्व के पावन अवसर पर कन्या भोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बालिकाओं को देवी स्वरूप मानकर उनका पूजन एवं स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ दुर्गा की आराधना एवं दीप प्रज्वलन से हुआ।
शिक्षा महाविद्यालय प्राचार्य प्राध्यापकों, एवं शिशु मंदिर विद्यालय के प्राचार्य शिक्षकगणों ने स्वयं कन्याओं के चरण धोकर उनका पूजन किया तथा तिलक कर पुष्पमालाओं से उनका सम्मान किया। तत्पश्चात बालिकाओं को स्वादिष्ट भोजन एवं प्रसाद अर्पित किया गया साथ ही सभी को उपहार भी दिया गया । सभी विद्यार्थियों ने भी सेवा भाव से इस आयोजन में भाग लिया।
इस कन्या भोज के माध्यम से बालिकाओं के सम्मान, नारी शक्ति की महत्ता एवं हमारी सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण का संदेश दिया गया। वहीं सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रद्धा मिश्राके द्वारा उद्बोधन मे कहा गया कि आज हम सभी यहाँ नवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कन्या भोज कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए एकत्रित हुए हैं। नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति का अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायी पर्व है। यह केवल देवी दुर्गा की उपासना भर नहीं है, बल्कि यह शक्ति, साधना और संस्कार का उत्सव है। आगे उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। अंतिम दिनों में कन्याओं को भोजन कराकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है, क्योंकि बालिकाएँ ही भवानी का सजीव स्वरूप मानी जाती हैं। यह परंपरा हमें यह संदेश देती है कि नारी शक्ति के बिना सृष्टि की कल्पना भी अधूरी है।
 इस कन्या भोज आयोजन का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक भी है। यह हमें स्मरण कराता है कि बेटियाँ घर-परिवार की मर्यादा और समाज की प्रगति की धुरी हैं। उन्हें आदर और अवसर प्रदान करना हम सबका कर्तव्य हैl  साथ ही कहा कि हमारे महाविद्यालय ने इस परंपरा को जीवित रखते हुए कन्याओं का पूजन और सम्मान किया है। प्राचार्य महोदय एवं शिक्षकों ने स्वयं कन्याओं के चरण धोकर, तिलक कर और पुष्पमाला अर्पित कर उन्हें देवी का स्थान दिया। इसके बाद उन्हें प्रेम और श्रद्धा से भोजन परोसा गया। इस कार्यक्रम में सभी छात्र-छात्राओं ने भी सेवा भाव से योगदान दिया।
यह आयोजन केवल एक रीति-रिवाज नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण का संदेश भी देता है। आज के समय में जब समाज को शिक्षा, समानता और संस्कार की आवश्यकता है, तब हमें कन्याओं के महत्व को समझना और उन्हें आगे बढ़ाने के अवसर देना चाहिए। साथ ही 
अंत में कहा गया मैं माँ दुर्गा से यही प्रार्थना करती हूँ कि वे हम सबको शक्ति, ज्ञान और करुणा प्रदान करें। हमारा महाविद्यालय इसी तरह सेवा, संस्कार और संस्कृति की परंपराओं को आगे बढ़ाता रहे।
 उक्त कार्यक्रम मे सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रद्धा मिश्रा एवं कार्यक्रम अधिकारी (रा. से. यों.) श्रीमती रानी रजक एवं सहायक कार्यक्रम अधिकारी (रा. से. यों.)सीमा बंजारे एवं सहायक प्राध्यापक श्रीमती प्रियलता जायसवाल, श्री मिथलेश कुमार गुर्जर, श्रीमती उर्मिला यादव, श्रीमती सुप्रिया सिंह, सुश्री सविता यादव, सुश्री पूजा रानी, सुश्री ज्योत्सना राजभर, सुश्री अर्चना सोनवानी, श्रीमती गोल्डन सिंह, श्री अजीत सिंह परिहार, श्री नितेश कुमार यादव, श्री सुन्दरराम एवं स्वयंसेवकों एवं सरस्वती शिशु मंदिर उ. मा. विद्यालय के प्राचार्य श्री संदीप साहू एवं समस्त शिक्षकगणो की सहभागिता रही।

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